
नवरात्रि में कैसी होती हैं मैया की सवारी
नवरात्रि का प्रारम्भ 26 सितंबर से शुरू हो रहा हैं सोमवार के दिन अगर माता का सवारी होता है तो माता का सवारी हाथी से होता हैं |
यदि नवरात्रि गुरुवार या शुक्रवार से शुरू होता है तो माता रानी का पालकी में सवारी होती हैं|
नवरात्रि की शुरुआत अगर मंगलवार या शनिवार से हो तो माता घोड़े पर सवार होकर आती है. मां दुर्गा के नवरात्र अगर बुधवार से शुरू हों तो माता नौका में सवार होकर आती हैं |
हाथी की सवारी क्यों खास मानी जाती है?
ऐसी मान्यताएं हैं कि जब नवरात्रि में माता रानी हाथी पर सवार होकर आती हैं तो बारिश होने की संभावना बहुत बढ़ जाती हैं. इससे चारों ओर हरियाली छाने लगती और प्रकृति का सौंदर्य अपने चरम पर होता है. तब फसलें भी बहुत अच्छी होती हैं. मैय्या रानी जब हाथी पर सवार होकर आती हैं तो अन्न-धन के भंडार भरती है. धन-धान्य में वृद्धि लाती हैं. माता का हाथी या नौका पर सवार होकर आना साधकों के लिए बहुत मंगलकारी माना जाता है|
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नवरात्रि में वस्त्र धारण का क्या महत्व हैं ?
नवरात्रि के सभी दिनों में सुबह जल्दी उठकर नहाएं और साफ कपड़े पहनें. पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना की प्रक्रिया को पूरा करें. कलश में गंगाजल भरे र उसके मुख के ऊपर आम के पत्ते रखें. कलश की गर्दन को पवित्र लाल धागे या मोली लपेटें और नारियल को लाल चुनरी के साथ लपेटें. नारियल को आम के पत्तों के ऊपर रखें. कलश को मिट्टी के बर्तन के पास या उस पर रखें. मिट्टी के बर्तन पर जौ के बीज बोएं और नवमी तक हर रोज कुछ पानी छिड़कें. इन नौ दिनों में मां दुर्गा मंत्रों का जाप करें. माँ को अपने घर में आमंत्रित करें. देवताओं की पूजा भी करें, जिसमें फूल, कपूर, अगरबत्ती, खुशबू और पके हुए व्यंजनों के साथ पूजा करनी चाहिए |
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नवरात्रि का महत्व क्या होता हैं ?
हिंदू धर्म में नवरात्रि या घटस्थापना के साथ पूरे देश में देवी की पूजा की जाती है। नवरात्रि के दौरान, नौ दिनों तक उपवास के साथ देवी की पूजा की जाती है। नौ रंग के वस्त्र धारण करने में नवरात्रि के नौ दिनों का विशेष महत्व है। नवरात्रि के पहले दिन का रंग उस दिन पर आधारित होता है जिस दिन से नवरात्रि शुरू होती है।