दिवाली 2022 के दिन धन लक्ष्मी यंत्र की स्थापना से होगी धन की वृद्धि, जानें पूजा विधि

हमारी ओर से आपको दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ। दीपक की रौशनी, पटाखों की आवाज, सूरज की किरणें, ख़ुशियों की बौछार, चंदन की खुशबू और अपनों का प्यार, मुबारक हो आपको दिवाली का त्यौहार। दीवाली के इस मंगल अवसर पर माँ लक्ष्मी आप सभी की मनोकामना पूरी हों, सफलता आपके कदम चूमे, इसी शुभकामनाओं के साथ आप सभी को दिवाली की ढेरों बधाई
  1.  दीपावली को दीपों का त्योहार या दीपोत्सव भी कहा जाता है
  2.  दिवाली भारत का सबसे लोकप्रिय और सबसे बड़ा त्यौहार है।
  3.  यह त्यौहार भगवान राम की याद में मनाया जाता है जो चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे।
  4.  इस अवसर पर हिंदू अनुयायी मिट्टी के दीपक जलाते हैं और अपने घरों को रंगोली से सजाते हैं

 

जैन परंपरा के अनुसार, दीप जलाने की यह प्रथा पहली बार 527 ईसा पूर्व में महावीर के निर्वाण के दिन शुरू हुई, जब महावीर की अंतिम शिक्षाओं के लिए एकत्र हुए 18 राजाओं ने एक घोषणा जारी की कि “महान प्रकाश, महावीर” की याद में दीपक जलाए जाएं।

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दीपावली पर्व मर्यादा, सत्य, कर्म और सद़भावना का सन्देश देता है। सबके साथ मिलकर मिठाई खाने से आपसी प्रेम को बढ़ाने का संदेश मिलता है, तो नए कपड़ों में सजे नन्हें-नन्हें बच्चों को देख लगता है काश हम भी बच्चें होते। पटाखों और दीपों की रोशनी में नहाया वातावरण धरती पर स्वर्ग उतर आने की गवाही देती नजर आती है

 

रोशनी का पर्व दीपावली सनातन धर्म का प्राचीन पर्व है। यह प्रतिवर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस पर्व के साथ अनेक धार्मिक, पौराणिक एवं ऐतिहासिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। यह पर्व श्रीराम के लंकापति रावण पर विजय हासिल करके और चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है।

कुछ लोग इस दिन को सबसे उत्साहपूर्ण तरीके से मनाते हैं। रात में, लोग अपने घरों को रोशनी, दीयों, मोमबत्तियों और ट्यूबलाइट से सजाते हैं। वे शाम को पटाखों के साथ खाते, पीते और आनंद लेते हैं। शहर और कस्बे आतिशबाजी की रोशनी और आवाज में डूब जाते हैं।

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सभी धर्मों में एक अरब से अधिक लोगों द्वारा मनाया जाने वाला यह पांच दिवसीय रोशनी का त्योहार प्रार्थना, दावत, आतिशबाजी और कुछ के लिए एक नया साल लाता है। दिवाली भारत का वर्ष का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है- अंधकार पर प्रकाश की विजय, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने का समय ।

 

दिवाली के दिन दीप जलाना मिठाइयां बांटना बम पटाखे फोड़ना बहुत अच्छा लगता है। भगवान श्री राम ने रावण का वध कर बुराई पर अच्छाई की जीत का निशान छोड़ा था। 14 साल के वनवास को काट कर अपने राज्य अयोध्या वापस आए थे| और अपनी गद्दी को दोबारा संभाला था। हर साल कार्तिक मास की अमावस्या की रात को दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है।

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दिवाली रोशनी का पर्व है। मान्यता है इस दिन भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्ति के बाद अयोध्या आए थे जिसकी खुशी में सभी नगरवासी अपने प्रभु राम के स्वागत में दीप जलाएं थे। इसके अलावा ऐसी मान्यता भी है कि दीपावली पर मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं इस कारण दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है
दीया भले मिट्टी का हो, मगर वह हमारे जीने का आदर्श है, हमारे जीवन की दिशा है, संस्कारों की सीख है, संकल्प की प्रेरणा है और लक्ष्य तक पहुंचने का माध्यम है। दीपावली मनाने की सार्थकता तभी है, जब भीतर का अंधकार दूर हो। अंधकार जीवन की समस्या है और प्रकाश उसका समाधान। जीवन जीने के लिए सहज प्रकाश चाहिए।

दिवाली के दूसरे दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा होती है। इसके अगले दिन यानी द्वितिया को भाई-दूज के त्योहार के साथ ही दीपावली महोत्सव पूरा हो जाता है।

चौथा दिन नए हिंदू वर्ष का पहला दिन है। हर घर में हम लक्ष्मी (त्योहार की रानी, ​​भगवान विष्णु की पत्नी, जिनकी छवि सुंदरता का प्रतिनिधित्व करती है और सौभाग्य, समृद्धि और धन लाती है) और गणेश से प्रार्थना करते हैं। उपहारों का आदान-प्रदान करने के लिए दोस्त और परिवार इकट्ठा होते हैं ।
इस दिन भगवान श्रीराम, माता सीता और भ्राता लक्ष्मण चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अपने घर अयोध्या लौटे थे। इतने सालों बाद घर लौटने की खुशी में सभी अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। तभी से दीपों के त्योहार दीपावली मनाया जाने लगा। यह त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है।

दिवाली कई धर्मों द्वारा मनाई जाती है। हर साल अक्टूबर और नवंबर के आसपास, दुनिया भर के हिंदू दिवाली या दीपावली मनाते हैं – रोशनी का त्योहार जो 2,500 साल से अधिक पुराना है ।

 

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