भारत का भौतिक भूगोल ॥ UPSSSC PET 2022॥

(A) नदियाँ –

भारत नदियों का देश है। भारत के आर्थिक विकास में देश की नदियों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। नदियाँ यहाँ प्राचीनकाल से ही मानव के जीविका का साधन रही हैं। उत्पत्ति के आधार पर भारत की नदियों का वर्गीकरण दो वर्गों में किया गया है।

(i) हिमालय की नदियाँ

(ii) प्रायद्वीपीय नदियाँ

(i) हिमालय की नदियाँ –

हिमालय की नदियों को तीन प्रमुख नदी तंत्रों में बाँटा गया है—

1. सिन्धु नदी तंत्र

2. गंगा नदी तंत्र

3. ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र

(1) सिन्धु नदी तंत्र

इसके अन्तर्गत सिंधु व उसकी सहायक नदियाँ (झेलम, चेनाब, रावी, व्यास, सतलज) पंचनद शामिल हैं।

  • सिंधु तिब्बत के मानसरोवर झील के निकट बोखर चू ग्लेशियर से निकलती है। यह 2880 किमी० लम्बी है। विश्व की बड़ी नदियों में से एक है। भारत में इसकी लम्बाई 1,114 किमी० है। दक्षिण-पश्चिम की ओर बहते हुए कराँची के पूर्व में अरब सागर में गिरती है।

सहायक नदियाँ –

1. झेलम नदी —यह सिंधु की सहायक नदी है, जो कश्मीर घाटी के दक्षिण-पूर्वी भाग में पीरपंजाल पर्वत की पदस्थली में वेरीनाग झरने से निकलकर 212 km की लम्बाई में उत्तर पश्चिम दिशा में प्रवाहित होते हुये वुलर झील में मिल जाती है। श्रीनगर झेलम नदी के तट पर स्थित है। इसकी सहायक नदी किशनगंगा है। इसे पाकिस्तान में नीलम कहा जाता है।

2. चिनाब—यह सिंधु की विशालतम सहायक नदी है, यह चन्द्र और भागा नामक दो नदियों के रूप में निकलती है। ये दोनों नदियाँ मिलकर चेनाब कहलाती हैं। भारत में इसकी लम्बाई 1180 किमी० है।

3. रावी नदी—इसका उद्गम स्थल हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित रोहतांग दर्रे के समीप है। इसकी लंबाई 725 किमी० है।

4. व्यास नदी – यह सतजल की सहायक नदी है। इसका उद्गम कुल्लू पहाड़ी में स्थित रोहतांग दर्रे के व्यास कुण्ड से होता है। कपूरथला के निकट हरि नाम के स्थान पर सिंधु से मिल जाती है। इसकी लम्बाई 470 किमी० है।

5. सतलज नदी – यह मानसरोवर झील के समीप स्थित राकसताल झील से निकलती है। शिपकी ला दर्रे के पास भारत में प्रवेश करती है। यह एकमात्र नदी है, जो हिमालय को तीन भागों में काटती है। भारत में इसकी लम्बाई 1050 किमी है।

(2) गंगा नदी तंत्र –

  • गंगा नदी भागीरथी व अलकनन्दा नदियों का सम्मिलित रूप है जो देवप्रयाग के निकट मिलकर गंगा कहलाती है। गंगा नदी का मुख्य स्रोत उत्तराखण्ड में स्थित गंगोत्री हिमनद है। गंगा नदी की सबसे अधिक लम्बाई उत्तर प्रदेश में हैं। बांग्लादेश में इसे पद्मा नदी के नाम से जाना जाता है। । गंगा नदी की भारत लम्बाई में 2525 km है।

सहायक नदियाँ –

1. रामगंगा नदी – यह नदी गैरसेण के निकट कुमायूँ हिमालय में स्थित गढ़वाल की पहाड़ियों से निकलती है। इस नदी की लम्बाई 600 km हैं। सोना इसकी प्रमुख सहायक नदी है।

2. शारदा नदी – यह नदी नेपाल हिमालय में स्थित मिलाम हिमनद से गोरी-गंगा नाम से निकलती है जो भारत-नेपाल सीमा पर काली नदी के नाम से जानी जाती है।

3. गण्डक नदी —यह धौलागिरी व एवरेस्ट पर्वत के बीच नेपाल हिमालय से निकलती है। यह नदी अपने मार्ग परिवर्तन के लिए प्रसिद्ध है। यह पटना के निकट सोनपुर में गंगा से मिल जाती है। इसकी लम्बाई 1310 km है।

4. कोसी नदी —यह गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदियों में से एक है। यह सात नदियों से मिलकर बनती है। यह नदी 729 km लंबी है। मार्ग बदलने के कारण इसे बिहार का शोक कहा जाता है। 5. महानंदा नदी – यह नदी बंगाल में दार्जिलिंग की पहाड़ियों से

निकलती है तथा सिलिगुड़ी के समीप गंगा में मिल जाती है।

6. केन नदी – यह मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित कैमूर की पहाड़ियों से निकलती है। इस नदी के तट पर चित्रकूट स्थित है। 7. सोन नदी – यह नदी मध्य प्रदेश में स्थित अमरकंटक के पठार में नर्मदा के उद्गम स्थान के निकट से निकलती है। इसके रेत में सोने के कण पाये जाते हैं। इसलिये उसे स्वर्ण नदी भी कहा जाता है। इसकी लम्बाई 780 किमी० है।

8. दामोदर नदी- यह पश्चिम बंगाल तथा झारखण्ड में भ्रंश घाटी में प्रवाहित होने वाली नदी है। इसकी लम्बाई 592 कि.मी. है। इसे बंगाल का शोक कहा जाता था। बराकर, जमुनिया तथा बरकी ! इसकी सहायक नदियाँ हैं।

9. यमुना नदी – यह गंगा की सबसे लम्बी व सबसे पश्चिमी सहायक नदी है, जो बदरपूँछ के पश्चिमी ढाल पर स्थित यमुनोत्री हिमनद से निकलती है। यह गंगा के समानांतर प्रवाहित होती हुई प्रयाग (इलाहाबाद) में गंगा से मिल जाती है। यमुना की लम्बाई 1376 किमी० है।

10. चंबल नदी – यह मध्य प्रदेश के महू के समीप स्थित मालवा पठार से निकलती है; अंत में इटावा के समीप यमुना से मिल जाती है। यह अपनी उत्खात भूमि के लिए प्रसिद्ध है। उत्खात भूमि को बीहड़ कहा जाता है। इसकी लम्बाई 965 किमी० है। बनास, मेज, पार्वती व क्षिप्रा इसकी सहायक नदियाँ हैं।

(3) ब्रह्मपुत्र नदी-तंत्र –

  • ब्रह्मपुत्र नदी (2,900) किमी० विश्व की सबसे लम्बी नदियों में से एक है। इसका अपवाह तंत्र तीन देशों –तिब्बत (चीन), भारत व बांग्लादेश में विस्तृत है। भारत में यह 1346 किमी की लम्बाई में प्रवाहित होती है।
  • यह कैलाश पर्वत श्रेणी के दक्षिण में मानसरोवर झील के निकट चेमायुंगडुग ग्लेशियर से निकलती है। ब्रह्मपुत्र का ज्यादा हिस्सा तिब्बत में है। जहाँ इसे सांपों के नाम से जाना जाता है।
  • इसकी दो सहायक नदियाँ हैं। दिवांग व लोहित, जिनके मिलने से इसका नाम ब्रह्मपुत्र पड़ा है। बांग्लादेश में इसका नाम जमुना है। ब्रह्मपुत्र में तिस्ता आदि नदियाँ मिलकर अंत में पद्मा (गंगा) में मिल जाती है।

(ii) प्रायद्वीपीय नदियाँ –

  • प्रायद्वीपीय नदियाँ चौड़ी लगभग संतुलित व उथली घाटियों से होकर बहती है। प्रायद्वीपीय क्षेत्र की अधिकांश नदियाँ पूर्व की ओर प्रवाहित होती है, क्योंकि इनका मुख्य जल विभाजक पश्चिमी घाट हैं। ये नदियाँ दो भागों में विभक्त होती हैं—

1. बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियाँ

2. अरब सागर में गिरने वाली नदियाँ

(1) बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियाँ –

1. स्वर्णरेखा नदी – यह नदी राँची के दक्षिण-पश्चिम पठार से निकलती है। यह बालासोर के निकट बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। इसकी लम्बाई 395 किमी० है।

2. महानदी — यह छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में सिंहावा श्रेणी के समीप अमरकंटक पठार से निकलकर पूर्व व दक्षिण-पूर्व की ओर प्रवाहित होती हुई कंटंक के निकट बंगाल की खाड़ी में डेल्टा का निर्माण करती है।

3. गोदावरी नदी– यह प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लम्बी नदी है, जिसकी लम्बाई 1465 किमी० है। इसका 44% भाग महाराष्ट्र में, 23% भाग आन्ध्र प्रदेश में तथा 20% भाग मध्य प्रदेश में पड़ता है। पश्चिमी घाट की पहाड़ियों में स्थित त्र्यम्बकेश्वर में इसका उद् स्थित हैं।

4. कृष्णा नदी – – यह प्रायद्वीपीय भारत की दूसरी सबसे लम्बी नदी है। यह पश्चिमी घाट (महाराष्ट्र) में स्थित महाबलेश्वर से निकलकर दक्षिण-पूर्व दिशा में 1400 किमी० की दूरी तय प्रवाहित होती हुई बंगाल की खाड़ी में गिरती है। इसके अपवाह क्षेत्र का 27% भार महाराष्ट्र, 44% भाग कर्नाटक व 29% भाग आंध्र प्रदेश में पड़ता है।

5. कावेरी नदी —यह कर्नाटक के कोडागू जिले में मैसूर पठार के दक्षिणी भाग में ब्रह्मगिरी पहाड़ियों से निकलकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है। इसके कुल अपवाह क्षेत्र का 3% भाग केरल में, 41% भाग कर्नाटक में तथा 56% भाग तमिलनाडु में पड़ता है।

6. पेन्नार नदी —यह कर्नाटक के कोलार जिले की नंदीदुर्ग पहाड़ी से निकलती है तथा बंगाल की खाड़ी में गिरती है। इसका अपवाह क्षेत्र कृष्णा व कावेरी के मध्य है।

7. वैगई नदी- – यह नदी तमिलनाडु राज्य के मदुरै जिले में स्थित वरशानद पहाड़ी से निकलकर मदुरै, रामनाथपुरम आदि जिलों से प्रवाहित होते हुये मंडयम के पास पाक की खाड़ी में गिरती है।

(2) अरब सागर में गिरने वाली नदियाँ –

1. नर्मदा नदी – इस नदी का उद्गम छत्तीसगढ़ में स्थित मैकाल पर्वत श्रेणी के अमरकंटक पठार से होता है। यह 1,312 किमी० लम्बी है। इसके अपवाह क्षेत्र का 87% भाग मध्यप्रदेश, 11.5% भाग गुजरात तथा 1.5% भाग महाराष्ट्र में पड़ता है। यह अरब सागर में गिरने वाली प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लम्बी नदी है। तवा, दूधी, हिरन, बरना, कोनाद, माचक इसकी सहायक नदियाँ हैं।

2. तापी या ताप्ती नदी – यह मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के मुल्ताई। नामक स्थान के निकट सतपुड़ा श्रेणी से निकलती है। इसकी लम्बाई 724 किमी० है। यह खम्भात की खाड़ी में मिलती है। इसके बेसिन का 72% भाग महाराष्ट्र, 15% म० प्र० व 6% गुजरात में स्थित है। इसकी सहायक नदी पूर्णा नदी है।

3. साबरमती नदी – यह पश्चिम दिशा में प्रवाहित होने वाली नदियों में तीसरी सबसे बड़ी नदी है। यह 371 किमी० लम्बी नदी है।

4. माही नदी – इसका उद्गम स्थल मध्य प्रदेश के धार जिले में विन्धाचल पर्वत से होता है। इसकी लम्बाई 580 किमी० है । जो मध्य प्रदेश राजस्थान व गुजरात राज्य तक विस्तृत है। सोम व जाखम इसकी सहायक नदियाँ हैं।

5. लूनी नदी- – यह राजस्थान के अजमेर जिले के दक्षिण-पश्चिम में अरावली श्रेणी में स्थित नाग पर्वत से निकलकर 495 किमी० की ल० में प्रवाहित होने के पश्चात् कच्छ के रन में विलुप्त हो जाती है।

• सरस्वती, जवाई, सूखड़ी, लीलड़ी इसकी सहायक नदियाँ हैं।

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